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जून, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अमित नाम था लड़के का ,

              अमित नाम था लड़के का  सुनीता एक बहुत ही सीधी सादी लड़की थी ,विवाह योग्य होने पर माता पिता ने राजकुमार नामक लड़के से विवाह तय कर दिया जो अपने माता पिता का इकलोता लड़का था, शादी धूमधाम से हुई और कुछ वर्ष बाद एक लड़के का जन्म हुआ , खूब खुशी मनाई गई लड़का धीरे धीरे बड़ा होने लगा इधर समय के साथ राजकुमार और सुनीता के माता पिता भी दुनियां में नही रहे, अमित नाम था लड़के का , धीरे धीरे बीस वर्ष का हो गया स्कूल ने टॉपर था, हाईस्कूल का रिजल्ट निकला तो फिर टॉप आया दोस्तो ने पार्टी रख्खी, पार्टी शहर से दूर एक जंगली एरिया में थी, एक आलीशान कोठी थी जंगल मे, माता पिता को घर मे प्रणाम करने के बाद शाम को सभी के साथ पार्टी की फिर यह बताकर की रमन ने पार्टी दी है तो हम इंज्वाय करेंगे, सुनीता व राजकुमार ने सोंचा चलो कभी कभी इंज्वाय करने भी दो रात दिन तो पढ़ता ही है, कोठी में पहुंचते ही तेज म्यूजिक व मेज पर शराब की कुछ बोतल थी, अमित ने कहा यह क्या म्यूजिक तो ठीक थी पर यह क्या शराब क्यो , तो रमन बोला यार एक दिन की ही तो बात है कौन सा पहाड़ टूटने बाला है, सुवह जब घर ज...

हरिहर किला नासिक

  हरिहर_किला_नासिक देश के इस किले तक पहुंचने के लिए गुजरना पड़ता है दुनिया के सबसे खतरनाक ट्रैक से... कई जगह चढ़ाई 90 डिग्री तक है।... देश के कई ऐतिहासिक किले से आपका परिचय हुआ होगा और उनकी कलात्‍मकता देख आप आश्‍चर्यचकित रह गए होंगे। मगर आपके लिए इस किले का सफर जितना खतरनाक होगा उतना ही रोमांचक भी। हर एक कदम पर आपकी सांसे थम सी जाएंगी, मगर इसके साथ ही मंजिल तक पहुंचने की आपकी ख्‍वाहिश भी बढ़ती चली जाएगी।  दरअसल, यह एक ऐसा किले है , जो जमीन पर नहीं बल्कि एक खूबसूरत पहाड़ की चोटी पर स्थित है और यहां तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है क्‍योंकि इसकी कई जगह चढ़ाई 90 डिग्री तक है। यह पहाड़ महाराष्‍ट्र के नासिक में कसारा से 60 किमी दूर है और इसकी चोटी पर स्थित किले को हर्षगढ़ किले या हरिहर किले के नाम से जाना जाता है। साथ ही इस किले की चढ़ाई को हिमालय के पर्वतारोहियों द्वारा दुनिया का सबसे खतरनाक ट्रैक माना जाता है। यह पहाड़ नीचे से चौकोर दिखाई देता है, मगर इसका शेप प्रिज्म जैसा है। यह दो तरफ से 90 डिग्री सीधा और तीसरी तरफ 75 की डिग्री पर है। वहीं किला 170 मीटर की ऊंचाई पर बना ह...

इंजीनियर डॉ विश्वेश्वरैया

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  इंजीनियर डॉ विश्वेश्वरैया एक ट्रेन द्रुत गति से दौड़ रही थी। ट्रेन अंग्रेजों से भरी हुई थी। उसी ट्रेन के एक डिब्बे में अंग्रेजों के साथ एक भारतीय भी बैठा हुआ था। डिब्बा अंग्रेजों से खचाखच भरा हुआ था। वे सभी उस भारतीय का मजाक उड़ाते जा रहे थे। कोई कह रहा था, देखो कौन नमूना ट्रेन में बैठ गया, तो कोई उनकी वेश-भूषा देखकर उन्हें गंवार कहकर हँस रहा था।कोई तो इतने गुस्से में था कि ट्रेन को कोसकर चिल्ला रहा था, एक भारतीय को ट्रेन मे चढ़ने क्यों दिया ? इसे डिब्बे से उतारो। किँतु उस धोती-कुर्ता, काला कोट एवं सिर पर पगड़ी पहने शख्स पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ा।वह शांत गम्भीर भाव लिये बैठा था, मानो किसी उधेड़-बुन मे लगा हो। ट्रेन द्रुत गति से दौड़े जा रही थी औऱ अंग्रेजों का उस भारतीय का उपहास, अपमान भी उसी गति से जारी था।किन्तु यकायक वह शख्स सीट से उठा और जोर से चिल्लाया "ट्रेन रोको"।कोई कुछ समझ पाता उसके पूर्व ही उसने ट्रेन की जंजीर खींच दी।ट्रेन रुक गईं। अब तो जैसे अंग्रेजों का गुस्सा फूट पड़ा।सभी उसको गालियां दे रहे थे।गंवार, जाहिल जितने भी शब्द शब्दकोश मे थे, बौछार कर रहे थे।किंतु वह शख्स ग...

बंदर और खरगोश की कहानी | Bandar aur Khargosh ki Kahani ।

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  बंदर और खरगोश की कहानी | Bandar aur Khargosh ki Kahani बंदरऔर खरगोश के कहानी  बंदर और खरगोश की कहानी | Bandar aur Khargosh ki Kahani  - एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक बूढ़ा बंदर भी रहता था। बंदर अपनी होशियारी और चतुराई के लिए जाना जाता था। जंगल में जब किसी प्रकार की मुसीबत आती थी तो सभी जानवर अपनी समस्या का हल निकालने के लिए बंदर के पास ही जाते थे।  उसी जंगल में एक बिल में एक खरगोश भी रहता था  ।  एक बार खरगोश खाने की तलाश में कुछ दिनों के लिए बाहर चला गया जिससे उसका घर (बिल ) खाली हो गया । खरगोश का बिल खाली देखकर एक खरगोशनी उस बिल में रहने लगे।  कई दिनों बाद जब खरगोश वापस आया तो उसने देखा कि उसके बिल  में एक खरगोशनी रह रही है। अपने बिल में  खरगोशनी को रहता देख खरगोश को बहुत गुस्सा आया और   खरगोश ने खरगोशनी से अपना दिल खाली करने के लिए कहा किंतु खरगोशनीबोली - " मैं यहां कई दिनों से रह रही हूं और अब इस बिल पर मेरा अधिकार है।  इस बिल को मैं किसी भी हालत में खाली नहीं करूंगी। " खरगोश  और बन्दर की कहानी...

आम का पेड़

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Aam ka पेड़   *एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था।* *जब भी फुर्सत मिलती वो आम के पेड़ के पास पहुंच जाता।*  *पेड़ के उपर चढ़ता,आम खाता,खेलता और थक जाने पर उसी की छाया मे सो जाता।*  *उस बच्चे और आम के पेड़ के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया।* *बच्चा जैसे-जैसे बडा होता गया वैसे-वैसे उसने पेड़ के पास आना कम कर दिया।*  *कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया।* *आम का पेड़ उस बालक को याद करके अकेला रोता।* *एक दिन अचानक पेड़  ने उस बच्चे को अपनी तरफ आते देखा और पास आने पर कहा,* *"तू कहां चला गया था? मै रोज तुम्हे याद किया करता था। चलो आज फिर से दोनो खेलते है।"* *बच्चे ने आम के पेड़ से कहा,* *"अब मेरी खेलने की उम्र नही है*  *मुझे पढ़ना है,लेकिन मेरे पास फीस भरने के पैसे नही है।"* *पेड़ ने कहा,*  *"तू मेरे आम लेकर बाजार मे बेच दे,* *इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।"* *उस बच्चे ने आम के पेड़ से सारे आम तोड़ लिए और उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया।* *उसके बाद फिर कभी दिखाई नही दिया।*  *आम का पेड़ उसकी राह देखता रहता।* *एक दिन वो फिर आया और कहने लगा,* *"अब म...

Motivational story

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  झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी. अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली. 1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा. महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे. आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं – 15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज ...

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 Hello friends ye mera first blog hai me aasha karti hu ki aap log jarur support karenge. Thank you all